Us Military Pilots Hits In Africa By Chinese Lasers Says Trump Administration - अमेरिकी विमानों पर चीनी सैनिकों का लेजर हमला, दो पायलट जख्मी

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अफ्रीका के जिबूती में स्थित चीन के सैन्य बेस पर मौजूद सैनिकों ने एक अमेरिकी विमान पर लेजर हमला कर दिया। इसमें दो अमेरिकी वायुसैनिक घायल हो गए। हालांकि चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। 

पेंटागन की प्रवक्ता डाना डब्ल्यू वाइट ने कहा कि लेजर हमले में सी-130 विमान में सवार दो वायुसैनिक घायल हुए हैं। उन्हें यकीन है कि इसके पीछे चीन के सैनिक हैं। डान ने यह भी बताया कि दो से ज्यादा और दस से कम बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। हाल के हफ्तों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। 

उन्होंने चीन के समक्ष इसका आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह लेजर पायलटों को कुछ समय के लिए अंधा भी कर सकता है। पेंटागन का आरोप है कि यह लेजर सैन्य स्तर का था, जिससे दो अमेरिकी पायलट घायल हो गए।
 
उधर, चीन के रक्षा और विदेश मंत्रालय ने अलग-अलग बयान जारी करके इन आरोपों को आधारहीन करार देते हुए नकार दिया है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, अमेरिका में कुछ लोगों को तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए। न की ऐसे झूठे आरोप लगाने चाहिए। ज्ञात हो कि 2017 में चीन ने जिबूती में सैन्य बेस बनाया था, जिसके बाद पहली बार अमेरिका से उसका टकराव हुआ है। यहां अमेरिका के भी चार हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। 


चीन द्वारा दक्षिण सागर की तीन चौकियों पर एंटी शिप क्रूज मिसाइलें और जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम तैनात करने के बाद अमेरिका भड़क गया है। क्षेत्र में ताजा सैन्यीकरण पर अमेरिका ने चिंता जताते हुए चीन को चेतावनी दी है कि उसे निकट व दूरगामी अवधि में इसके नतीजे भुगतने होंगे।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने कहा कि हम दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्यीकरण से अच्छी तरह वाकिफ हैं और हमने इस मुद्दे को प्रत्यक्ष रूप से चीनी नेतृत्व के सामने उठाते हुए उसे अंजाम भुगतने की चेतावनी दी हैै। हालांकि सैंडर्स ने यह नहीं बताया कि चीन को क्या परिणाम भुगतने होंगे। 

एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह भी बताया कि हमें यह सूचना भी मिली है कि चीन ने स्प्राली द्वीपों पर पिछले माह चीन ने कुछ हथियार सिस्टम भी तैनात किए हैं। इनमें चट्टान भेदी फायरिंग उपकरण और खतरनाक हथियार शामिल हैं।

अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक चीन ने पिछले दिनों इस क्षेत्र में सात आइलैंड, मिसाइल स्टेशन, हैंगर और रडार स्टेशन बना चुका है। राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा भी अपने कार्यकाल के दौरान दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते कब्जे को लेकर विरोध जता चुके हैं। पश्चिमी प्रशांत सागर में भी चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते अमेरिका को चुनौती देता रहा है।


अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भी विवादित क्षेत्र में चीनी सैन्य निर्माण पर चिंता जताई है। पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता दाना व्हाइट ने संवाददातों से कहा, हम इन कृत्रिम द्वीपों के सैन्यीकरण से जुड़ी चिंताओं के बारे में बहुत मुखर हैं। चीन को यह महसूस करना होगा कि उन्हें समुद्र के नि:शुल्क नेविगेशन से फायदा हुआ है और अमेरिकी नौसेना इसके गारंटर हैं।

एडवांस हथियारों का प्रदर्शन कर चुका है चीन
बृहस्पतिवार को चीन ने विवादित तीन चौकियों पर मिसाइलों की तैनाती को सही ठहराया है। उसने कहा कि दक्षिण सागर पर चीन की निर्विवाद संप्रभुता है। यहां चीन अप्रैल में अब तक का अपना सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास भी कर चुका है। यहां पहली बार चीन के विमानवाहक हमला समूह और पीएलए के सबसे एडवांस हथियारों का प्रदर्शन किया गया है। 



अफ्रीका के जिबूती में स्थित चीन के सैन्य बेस पर मौजूद सैनिकों ने एक अमेरिकी विमान पर लेजर हमला कर दिया। इसमें दो अमेरिकी वायुसैनिक घायल हो गए। हालांकि चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। 


पेंटागन की प्रवक्ता डाना डब्ल्यू वाइट ने कहा कि लेजर हमले में सी-130 विमान में सवार दो वायुसैनिक घायल हुए हैं। उन्हें यकीन है कि इसके पीछे चीन के सैनिक हैं। डान ने यह भी बताया कि दो से ज्यादा और दस से कम बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। हाल के हफ्तों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। 

उन्होंने चीन के समक्ष इसका आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह लेजर पायलटों को कुछ समय के लिए अंधा भी कर सकता है। पेंटागन का आरोप है कि यह लेजर सैन्य स्तर का था, जिससे दो अमेरिकी पायलट घायल हो गए।
 
उधर, चीन के रक्षा और विदेश मंत्रालय ने अलग-अलग बयान जारी करके इन आरोपों को आधारहीन करार देते हुए नकार दिया है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, अमेरिका में कुछ लोगों को तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए। न की ऐसे झूठे आरोप लगाने चाहिए। ज्ञात हो कि 2017 में चीन ने जिबूती में सैन्य बेस बनाया था, जिसके बाद पहली बार अमेरिका से उसका टकराव हुआ है। यहां अमेरिका के भी चार हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। 







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