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भरतीय पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने कहा कि उसका एनरोलमेंट सॉफ्टवेयर जरूरी सुरक्षा उपायों से लैस है ताकि कोई उसमें बदलाव न कर सके। उसमें छेड़छाड़ का दावा करने वाली सभी रिपोर्टें झूठी और आधारहीन हैं।
हाल में ऐसी खबरें आई थीं कि ब्लैक मार्केट में आधार एनरोलमेंट सॉफ्टवेयर बेचा जा रहा है जिसके इस्तेमाल से बिना किसी दस्तावेज और उसके प्रमाणीकरण के आधार कार्ड जारी किया जा सकता है।
प्राधिकरण ने कहा है कि अगर कोई सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ करता है तो हमारा सिस्टम उसे खारिज कर देता और ऐसे में आधार कार्ड बनना संभव ही नहीं है। उसका सिस्टम सभी 10 उंगलियों के प्रिंट और दोनों आइरिस की छाप को मैच करने के बाद ही कार्ड जारी करता है।
इस मामले में प्राधिकरण जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलता है। इसके तहत ऑपरेटर के बायोमीट्रिक पहचान, ऑपरेटर की वैधता, एनरोलमेंट मशीन, एनरोलमेंट एजेंसी और रजिस्ट्रार की भी जांच की जाती है। किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर ऑपरेटर को काली सूची में डाल दिया जाता है। इस मामले में हर गलती के लिए एक लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।
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