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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 04 May 2018 03:42 PM IST
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और नेशनल काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (एनसीटीई) जल्द ही इतिहास की बात हो जाएंगे।
ऐसा इसलिए क्योंकि इन संस्थानों को खत्म करके सरकार एक नई हायर एजुकेशन अथॉरिटी बनाने जा रही है। इस नई अथॉरिटी का गठन 2019 के आम चुनावों से पहले हो जाएगा।
सरकार ने तैयार किया बिल
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने इसके लिए नया बिल तैयार कर लिया है। हायर एजुकेशन रेग्यूलेटरी काउंसिल (एचईआरसी) नाम से तैयार इस बिल के कानून बन जाने के बाद देश भर में उच्च शिक्षा के लिए बने आयोग और परिषद खत्म हो जाएंगे।
यह देश में मौजूद सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए एक गाइड की तरह काम करेगा। इसके साथ ही नए कोर्स के बारे में भी सभी को सुझाव भी देगा।
हालांकि इस अथॉरिटी के पास किसी भी विश्वविद्यालय या फिर तकनीकी संस्थान को अनुदान नहीं दे सकेगा। अनुदान के लिए रेग्यूलेटर केवल एचआरडी मंत्रालय को सिफारिश कर सकेगा।
इस ड्रॉफ्ट बिल को मानव संसाधन मंत्रालय ने तैयार किया है और पीएमओ में बारीकी से देखा गया है। इस बिल को सितंबर में होने वाले मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि इस नए बिल में यह साफ नहीं हो पाया है राज्य सरकारों के आधीन में आने वाले विश्वविद्यालयों और बीएड कराने वाले शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान इस बिल के दायरे में आएंगे या नहीं।
बिल की यह हैं खास बातें
- रेग्यूलेटर देश भर में नए संस्थान स्थापित करेगा जहां पर अच्छी क्वालिटी की उच्च शिक्षा छात्र-छात्राओं को मिलेगी।
- रेग्यूलेटर शोध और पढ़ाई के नए मानक तय करेगा।
- रेग्यूलेटर प्रत्येक वर्ष सभी विश्वविद्यालयों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की परफॉर्मेंस का भी अध्य्यन करेगा।
- यूजीसी में प्रत्येक कोर्स के लिए बनी अलग-अलग कमेटी HEERA के दायरे में आ जाएंगी।
- अगर गुणवत्ता नहीं रखी तो रेग्यूलेटर उस संस्थान में छात्रों के एडमीशन पर रोक भी लगा सकेगा।
- इस अथॉरिटी में 10 लोगों की नियुक्ति की जाएगी, जिसमें शिक्षा जगत के नामी व्यक्ति को चेयरमैन, दो उप चेयरपर्सन, तीन सदस्य जो कि आईआईटी/आईआईएम/आईआईएससी में पांच साल तक निदेशक रहे और तीन सदस्य ऐसे जो कि किसी राष्ट्रीय या राज्यों के विश्वविद्यालय में कुलपति रहे हों।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और नेशनल काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (एनसीटीई) जल्द ही इतिहास की बात हो जाएंगे।
ऐसा इसलिए क्योंकि इन संस्थानों को खत्म करके सरकार एक नई हायर एजुकेशन अथॉरिटी बनाने जा रही है। इस नई अथॉरिटी का गठन 2019 के आम चुनावों से पहले हो जाएगा।
सरकार ने तैयार किया बिल
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने इसके लिए नया बिल तैयार कर लिया है। हायर एजुकेशन रेग्यूलेटरी काउंसिल (एचईआरसी) नाम से तैयार इस बिल के कानून बन जाने के बाद देश भर में उच्च शिक्षा के लिए बने आयोग और परिषद खत्म हो जाएंगे।
यह देश में मौजूद सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए एक गाइड की तरह काम करेगा। इसके साथ ही नए कोर्स के बारे में भी सभी को सुझाव भी देगा।
अनुदान नहीं मिलेगा
हालांकि इस अथॉरिटी के पास किसी भी विश्वविद्यालय या फिर तकनीकी संस्थान को अनुदान नहीं दे सकेगा। अनुदान के लिए रेग्यूलेटर केवल एचआरडी मंत्रालय को सिफारिश कर सकेगा।
इस ड्रॉफ्ट बिल को मानव संसाधन मंत्रालय ने तैयार किया है और पीएमओ में बारीकी से देखा गया है। इस बिल को सितंबर में होने वाले मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि इस नए बिल में यह साफ नहीं हो पाया है राज्य सरकारों के आधीन में आने वाले विश्वविद्यालयों और बीएड कराने वाले शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान इस बिल के दायरे में आएंगे या नहीं।
बिल की यह हैं खास बातें
- रेग्यूलेटर देश भर में नए संस्थान स्थापित करेगा जहां पर अच्छी क्वालिटी की उच्च शिक्षा छात्र-छात्राओं को मिलेगी।
- रेग्यूलेटर शोध और पढ़ाई के नए मानक तय करेगा।
- रेग्यूलेटर प्रत्येक वर्ष सभी विश्वविद्यालयों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की परफॉर्मेंस का भी अध्य्यन करेगा।
- यूजीसी में प्रत्येक कोर्स के लिए बनी अलग-अलग कमेटी HEERA के दायरे में आ जाएंगी।
- अगर गुणवत्ता नहीं रखी तो रेग्यूलेटर उस संस्थान में छात्रों के एडमीशन पर रोक भी लगा सकेगा।
- इस अथॉरिटी में 10 लोगों की नियुक्ति की जाएगी, जिसमें शिक्षा जगत के नामी व्यक्ति को चेयरमैन, दो उप चेयरपर्सन, तीन सदस्य जो कि आईआईटी/आईआईएम/आईआईएससी में पांच साल तक निदेशक रहे और तीन सदस्य ऐसे जो कि किसी राष्ट्रीय या राज्यों के विश्वविद्यालय में कुलपति रहे हों।
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