लखनऊ: देश में राजनेताओं द्वारा दलितों के घरों में खाना खाने के बढ़ते चलन के बीच बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने इसे दिखावा और बहुजन समाज का ‘अपमान‘ करार दिया है. वरिष्ठ बीजेपी नेताओं द्वारा हाल में दलितों के घर में खाना खाए जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर बहराइच लोकसभा सीट से सांसद सावित्री ने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारत के संविधान में जाति व्यवस्था को खत्म करते हुए सबको बराबर की जिंदगी जीने का अधिकार दिया है, लेकिन आज भी अनुसूचित जाति के प्रति लोगों की मानसिकता साफ नहीं है.
उन्होंने कहा ‘इसीलिए लोग उनके घर में खाना खाने तो जाते हैं लेकिन उनका बनाया हुआ खाना नहीं खाते. उनके लिए बाहर से बर्तन आते हैं, बाहर से खाना बनाने वाले आते हैं, वे ही परोसते भी हैं. दिखावे के लिए दलित के दरवाजे पर खाना खाकर फोटो खिंचवाई जा रही है और उन्हें व्हाट्सअप, फेसबुक पर वायरल किए जाने के साथ-साथ टीवी चैनलों पर चलवाकर वाहवाही लूटी जा रही है. इससे पूरे देश के बहुजन समाज का अपमान हो रहा है.’ पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा द्वारा एक दलित के घर में रात्रि भोज पर जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था, जहां आरोप लगे थे कि मंत्री अपनी तरफ से भोजन और पानी लेकर वहां पहुंचे थे.
85% people of India belong to backward caste & these people are poorest. Those eating food at the residence of Dalits they are neither using utensils of their house nor are they eating the food cooked there. This is all a fake show & is not going to help: Savitri Bai Phule, BJP pic.twitter.com/ilSlDraxnM
— ANI UP (@ANINewsUP) May 3, 2018
'दलित के हाथ का बना हुआ खाना खाएं'
सावित्री ने कहा कि बात तो तब हो जब दलित के हाथ का बनाया हुआ खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं. उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाना है तो उनके घर पर खाना खाने के बजाय उनके लिये रोटी, कपड़े, मकान और रोजगार का इंतजाम किया जाए. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के लिये नौकरियां सृजित करे. केवल खाना खाने से अनुसूचित जाति के लोग आपसे नहीं जुड़ेंगे.क्या वह इस मुद्दे को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सामने रखेंगी, इस सवाल पर पार्टी सांसद ने कोई साफ जवाब नहीं दिया.
सावित्री ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आज भी हीन भावना से देखा जाता है. मैं सांसद हूं और मुझे बीजेपी सांसद के बजाय दलित सांसद कहा जाता है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दलित राष्ट्रपति कहा जाता है. क्या यह अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान नहीं है.
'आज आंबेडकर प्रतिमा को तोड़ा जा रहा है'
उन्होंने कहा कि इस नजरिए से आज भी संविधान को नहीं माना जा रहा है. अगर संविधान को उसकी मूल भावना से लागू कर दिया जाए तो देश में गैर बराबरी और जाति व्यवस्था खुद ब खुद ही खत्म हो जाएगी. आज आंबेडकर प्रतिमा को तोड़ा जा रहा है और उसे खंडित करने वालों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है. घोड़ी चढ़ने पर दलित की हत्या की जा रही है.
इससे पहले पिछले महीने सांसद सावित्री ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित काशीराम स्मृति उपवन में 'भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली का आयोजन' कर सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी.
(इनपुट - भाषा)
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